👩✈️ प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
कर्नल सोफिया कुरैशी का जन्म 1981 में गुजरात के वडोदरा में एक सैन्य पृष्ठभूमि वाले परिवार में हुआ था। उनके दादा भारतीय सेना में धार्मिक शिक्षक थे, और उनके पिता ने भी सेना में सेवा की थी। उन्होंने महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय से बायोटेक्नोलॉजी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

🎖️ सैन्य करियर की शुरुआत
सोफिया ने 1994 में भारतीय सेना के सिग्नल कोर में कमीशन प्राप्त किया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों में भाग लिया और 2001 में सेना के पहले मोबाइल डिजिटल संचार नेटवर्क के विकास में मदद की।
🌍 अंतरराष्ट्रीय शांति मिशनों में योगदान
2006 में, कर्नल कुरैशी को संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन (MONUSCO) के तहत कांगो में नियुक्त किया गया, जहाँ उन्होंने संघर्ष क्षेत्रों में संघर्षविराम की निगरानी और मानवीय प्रयासों में सहायता की।
🏅 ऐतिहासिक उपलब्धियाँ
- 2016: कर्नल कुरैशी ने ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में भारतीय सेना की 40-सदस्यीय टुकड़ी का नेतृत्व किया, जो किसी बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय महिला अधिकारी द्वारा किया गया पहला नेतृत्व था।
- 2025: उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के मीडिया ब्रीफिंग का नेतृत्व किया, जिसमें भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए।
🏆 सम्मान और पुरस्कार
- विशिष्ट सेवा पदक (2019)
- संयुक्त राष्ट्र शांति सेवा पदक (2017)
- गांधी शांति पुरस्कार (2019)
- सेना सेवा पदक (2025)
- 20 वर्षों की लंबी सेवा पदक
- 9 वर्षों की लंबी सेवा पदक
👨👩👦 व्यक्तिगत जीवन
कर्नल सोफिया कुरैशी ने 2015 में मेजर ताजुद्दीन कुरैशी से विवाह किया, जो भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में अधिकारी हैं। उनका एक बेटा है।
🌟 प्रेरणा और विरासत
कर्नल कुरैशी ने भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिका को नया आयाम दिया है। उनकी उपलब्धियों को सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को स्थायी कमीशन देने के ऐतिहासिक निर्णय में भी उद्धृत किया था।
📹 वीडियो
कर्नल सोफिया कुरैशी की प्रेरणादायक यात्रा को देखने के लिए नीचे दिया गया वीडियो देखें:
कर्नल सोफिया कुरैशी की कहानी न केवल भारतीय सेना में महिलाओं की बढ़ती भूमिका का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि समर्पण, साहस और नेतृत्व से कोई भी बाधा पार की जा सकती है।